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Vishwakarma Puja 2023: कब है विश्वकर्मा जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

Vishwakarma Puja 2023

Vishwakarma Puja 2023: विश्वकर्मा पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja 2023) की जाती है और कई लोग अपने कार्यशाला और उपकरणों की पूजा करते हैं। विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी। इस दिन कन्या संक्रांति भी है। इस महत्वपूर्ण दिन पर लोग अपने कार्यों को सफलता की ओर बढ़ाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा (Vishwakarma Puja 2023) करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

विश्वकर्मा पूजा मुहूर्त (Vishwakarma Puja Muhurat 2023):

पूजा तिथि: 17 सितंबर 2023 (सोमवार)
पूजा मुहूर्त: सुबह 07:50 से दोपहर 12:26
दोपहर 01:58 से 3:30 तक

विश्वकर्मा पूजा की विधि (Vishwakarma Puja Vidhi):

1.कामकाज में आने वाले हर तरह के औजार व यंत्रों की साफ-सफाई करें।
2. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें, भगवान विश्वकर्मा का चित्र स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना करें।
3. कार्यशाला के बड़े उपकरणों की पूजा करें, विश्वकर्मा भगवान के मंत्र का जाप करें और उनकी आराधना करें।
4. पूजा के बाद, प्रसाद तैयार करें और उसे भगवान विश्वकर्मा को समर्पित करें, आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
5. अपने कार्यशाला या व्यापार में वृद्धि की कामना करें और उम्र भर के सुख-समृद्धि की कामना करें।

 

विश्वकर्मा पूजा का महत्व: (Vishwakarma Puja)

ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल के सभी प्रसिद्ध नगरों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग से लेकर लंका, द्वारका जैसे नगरों के साथ साथ भगवान शंकर के त्रिशूल, हनुमान भगवान की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल व कवच तक का निर्माण किया है। इसलिए यंत्रों और औजारों की पूजा की जाती है। विश्वकर्मा भगवान की पूजा करने से उनकी कृपा बनी रहती है।

भगवान विश्वकर्मा जी की आरती (Vishwakarma Ji ki Aarti):

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु,

जय श्री विश्वकर्मा

आदि सृष्टि मे विधि को,

श्रुति उपदेश दिया ।

जीव मात्र का जग में,

ज्ञान विकास किया ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

ऋषि अंगीरा तप से,

शांति नहीं पाई ।

ध्यान किया जब प्रभु का,

सकल सिद्धि आई ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

रोग ग्रस्त राजा ने,

जब आश्रय लीना ।

संकट मोचन बनकर,

दूर दुःखा कीना ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

जब रथकार दंपति,

तुम्हारी टेर करी ।

सुनकर दीन प्रार्थना,

विपत सगरी हरी ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

एकानन चतुरानन,

पंचानन राजे।

त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज,

सकल रूप साजे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

ध्यान धरे तब पद का,

सकल सिद्धि आवे ।

मन द्विविधा मिट जावे,

अटल शक्ति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

श्री विश्वकर्मा की आरती,

जो कोई गावे ।

भजत गजानांद स्वामी,

सुख संपति पावे ॥

जय श्री विश्वकर्मा प्रभु…

सकल सृष्टि के करता,

रक्षक स्तुति धर्मा ॥

 

डिसक्लेमर: लेख में प्रस्तुत की गई कोई भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की कोई गारंटी नहीं है। ये जानकारियां विभिन्न स्रोतों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई है और इसे महज सूचना के रूप में प्रस्तुत किया गया है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। इसके सही और सिद्धता का प्रमाण नहीं दे सकते। इसके किसी भी उपयोग से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

 

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