Rodbez Cab: रिक्शा चलाया, सब्जी बेची, अब खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी, जानिए दिलखुश कुमार की कहानी

Rodbez Cab: अगर इंसान चाह ले तो अपनी मेहनत और लगन से नई ऊंचाईयों को प्राप्त कर सकता है। कभी जीवनयापन के लिए जीतोड़ मेहनत की लेकिन बिहार के दिलखुश ने हार नहीं मानी। असफलताओं के दौरान रिश्तेदारों के ताने भी उन्हें सुनने पड़े और आज करोड़ों की कंपनी के मालिक हैं। देश में युवा उद्यमियों की संख्या बढ़ रही है और साथ ही बिहार जैसे राज्य में भी स्टार्टअप कल्चर की शुरूआत तेजी से हो गई है। नए उद्यमी अपने दम पर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर रहे हैं। बड़े शहर तो स्टार्टअप कल्चर में बहुत आगे हैं लेकिन अब छोटे शहरों में भी इसका प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी ही कहानी है रोडबेज के फाउंडर दिलखुश कुमार की, जिन्होंने टैक्सी सर्विस के बिजनेस से बिहार के गांव-गांव में धमाल मचा दिया है। अब बिहार में उनकी पहचान बतौर स्टार्टअप किंग हो गई है। Rodbez Cab ; Shark Tank Season 3 के नए एपिसोड में RODBEZ नाम की STARTUP ने पिच किया।

Rodbez Cab
Image Credit: Roadbez

बिहार के स्टार्टअप किंग की कहानी (Dilkhush Kumar Success Story)

सहरसा जिले के छोटे से गांव से आने वाले दिलखुश कुमार के पिता ट्रक ड्राइवर थे। इन्होंने इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की है। इनकी शादी बहुत कम उम्र में हो गई। शार्क टैंक में पिच के दौरान उन्होंने बताया कि वह चपरासी की नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गए थे। जब दिलखुश को आईफोन का लोगो दिखाया गया तो पहचान नहीं पाए। उन्हें नौकरी नहीं मिली। इन्होंने दिल्ली में रिक्शा चलाने से लेकर पटना में सब्जी बेचने तक काम किया लेकिन मेहनत के दम पर करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी। उन्होंने उसके लिए टीम हायर कर एप्लिकेशन डेवलप करवाया, जिसमें उनकी कंपनी ओला और ऊबर की तरह ही गांव में काम कर रही थी। उस समय उनका रेवन्यू 8 लाख महीने का था। आज वह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। बिहार के गांव-गांव में टैक्सी सर्विस के लिए दिलखुश कुमार ने मई 2022 में अपने चचेरे भाई सिद्धार्थ के साथ मिलकर रोडबेज की शुरूआत किया था।

रोडबेज (Rodbez Cab) क्या करती है?

रोडबेज एक टैक्सी सर्विस प्रोवाइडर करने वाली एग्रीगेटर कंपनी है। इसका काम पूरे राज्य में टूर और ट्रैवल्स से जुड़ा काम कर रहे लोगों को जोड़ना है। अगर कोई शहर से बाहर के लिए टैक्सी बुक करता है तो उसे दोनों तरफ का किराया देना पड़ता है। ऐसे में रोडबेज इन्हीं समस्याओं का समाधान करता है। इसमें ड्राइवर अपना रूट डालते हैं और यात्री अपना गंतव्य। रोडवेज मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से यात्री को ऐसे ड्राइवर के साथ कनेक्ट किया जाता है जो उनके रूट में खाली यात्रा करने वाले होते हैं। इस तरह टैक्सी ड्राइवर को अधिक इनकम हो जाता है और यात्री की भी बचत हो जाती है। गौरतलब है कि ओला और उबर कस्टमर से आउट स्टेशन पर जाने के लिए दोनों तरफ का किराया वसूल करती हैं लेकिन रोडबेज सिर्फ एक तरफ का शुल्क लेती है।

 

आईआईटी और आईआईएम पासआउट कर रहे नौकरी

दिलखुश की कंपनी में आईआईटी और आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों से पढ़े छात्र नौकरी कर रहे हैं। रोडबेज में अभी 20 टैक्सी है जिनके द्वारा टैक्सी प्रोवाइड भी 45000 रुपए महीने कमा लेते हैं जिसमें यह स्टार्टअप खुद ₹20000 कमीशन पाता है। दिलखुश कुमार ने अपने स्टार्टअप रोडवेज की 5 % हिस्सेदारी का मूल्य 50 लाख रुपया रखा। उनके स्टार्टअप में OYO के फाउंडर रितेश अग्रवाल और नमिता ठाकुर ने फंडिंग की है।

रोडबेज (Rodbez Cab) यात्रियों को दी हैं कई सुविधाएं

दिलखुश ने शार्क टैंक में अपनी कंपनी की खासियत के बारे में बताते हुए कहा कि लोग उनके यहां ऐप पर एक दिन पहले भी गाड़ियां बुक करते हैं। किसी को रेलवे स्टेशन पहुंचकर स्पेशल ट्रेन पकड़नी हो या किसी को एयरपोर्ट पहुंचकर फ्लाइट पकड़नी हो तो उन्हें सुविधा भी प्रदान की गई है। यदि उनकी सर्विसेज को बुक किए हैं और किसी भी कारणवश पैसेंजर का फ्लाइट और ट्रेन मिस होता है तो पैसेंजर को गंतव्य तक पहुंचाने का पूरा खर्च कंपनी द्वारा दी जाती है। इसके लिए कंपनी यह नुकसान उठाने के लिए तैयार रहती है और इसके लिए कंपनी ने पॉलिसी भी बनाई है।

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