New Parliament Building: डिजाइन से लेकर सबकुछ, नए और पुराने संसद भवन में कितना अंतर है?

New Parliament Building: 28 मई 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन (New Parliament Building) का उद्घाटन किया था। पुराने संसद भवन की पुरानी इमारत में कई खामियां थी। आज के हिसाब से नई सुविधाओं से लैस नए संसद भवन (New Parliament Building) का निर्माण कराया गया है। आखिर नया संसद भवन में खास है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि पुराने संसद भवन का क्या होगा।

New Parliament Building
Image: Social Media

क्या है पुराना संसद भवन (old Parliament Building) का इतिहास?

गोलाकार डिजाइन वाले पुराने संसद भवन (Old Parliament Building) को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया गया था। इसके निर्माण में छह साल (1921-1927) लगे थे, जिसका उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था। यह करीब छह एकड़ (24,281 वर्ग मीटर) का क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पुराने संसद भवन में स्थित लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था थी। अगर पार्किंग क्षमता की बात की जाए तो इसमें 212 गाड़ियों को पार्क किया जा सकता है।

sansad bhavan
Image: Pinterest

क्या है नए संसद भवन (New Parliament Building) की खासियत?

नए संसद भवन (New Parliament Building) के लोकसभा में 888 सांसदों और राज्यसभा में 384 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था है। इसमें 900 गाड़ियों को पार्क किया जा सकता है। यह लगभग 64,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।सेंट्रल विस्टा वेबसाइट के मुताबिक, नए संसद भवन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, इसमें वोटिंग के लिए बायोमेट्रिक्स, डिजिटल भाषा व्याख्या या अनुवाद प्रणाली और माइक्रोफोन की सुविधाएं प्रदान की गई हैं। इसे अहमदाबाद स्थित एचसीपी डिजाइन और वास्तुकार बिमल पटेल के नेतृत्व में डिजाइन किया है। संसद भवन की लागत 971 करोड़ रुपए है। इस भवन को तीन साल पांच महीने में तैयार किया गया है। नए संसद में संविधान हॉल है, पुराने संसद भवन में यह नहीं था। इसमें देश के महान हस्तियों की तस्वीरें लगाई जाएंगी।

पुराने संसद भवन का क्या होगा?

नया संसद भवन (New Parliament Building) सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (Central Vista Project) के तहत तैयार किया गया है। वहां मौजूद कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कुछ को अन्य कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ को रिनोवेट किया जाएगा। केंद्र की मानें तो, पुराने संसद की मौजूदा इमारत को पुरातात्विक धरोहर में बदल दिया जाएगा। संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा कक्ष का उपयोग किया जाएगा।

आखिर नए संसद भवन (New Parliament Building) की जरूरत क्यों पड़ी ?

पुराना संसद भवन कई सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा था क्योंकि इसे पुराने समय के हिसाब से बनाया गया था। यहां अग्नि सुरक्षा मुख्य चिंताओं में से एक था। जल आपूर्ति लाइन, सीवर लाइन, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन, सीसीटीवी, ऑडियो-वीडियो सिस्टम को बाद में लगाया गया लेकिन इससे भवन में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। 1971 के बाद से लोकसभा सीटों की संख्या 545 से कभी नहीं बदली। बैठने की व्यवस्था ठीक नहीं थी। इसलिए नए संसद भवन (New Parliament Building) की जरूरत पड़ी।

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