Qatar: कतर में उम्रकैद की सजा काट रहे भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर रिहा, जानिए क्या है मामला

Qatar : कतर में जिन आठ भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, उन्हें रिहा कर दिया गया है। गौरतलब है कि इन सभी अधिकारियों पर जासूसी का आरोप लगा था। इन सभी अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन भारत सरकार के अनुरोध पर इन्हें उम्रकैद में बदल दिया गया था।

कतर में दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज और कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसरों को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी जिसे उम्र कैद में बदल दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व नौसेना अधिकारियों पर कथित तौर पर “जासूसी के आरोप” लगाए गए थे। भारतीय अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि हम अपने नागरिकों की रक्षा करते रहेंगे।

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क्या है मामला?

30 अगस्त 2022 की रात नौसेना के पूर्व अधिकारियों को हिरासत में लिया गया। इन अधिकारियों का ट्रायल 29 मार्च 2023 को शुरू हुआ था। विदेश मंत्रालय ने बताया था कि भारत के द्वारा सभी पूर्व नौसैनिकों को कानूनी मदद दी जा रही है। उनके परिवारों से मिलने की इजाजत बाद में दी गई। गौरतलब है कि कतर में 26 अक्टूबर 2023 को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई गई। जिनको मौत की सजा सुनाई गई थी उनके नाम हैं- कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता,कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर सुगुनाकर पकाला और सेलर रागेश आदि। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो, इन सभी अधिकारियों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है। हालांकि, इस केस को गोपनीयता रखा गया था।

25 अक्टूबर 2022 को कमांडर (रिटायर्ड) पूर्नेंदु तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को दोहा में बीते 57 दिनों से रखा गया है। उन्होंने भारत सरकार से उन सभी अधिकारियों को जल्द भारत वापस लाने की गुहार लगाई थी। इसके अलावा कैप्टन (रिटायर्ड) नवतेज सिंह गिल के भाई नवदीप ने भी इसकी जानकारी मीडिया को दी थी। भारतीय अधिकारियों ने विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इसे वाकई ‘बेहद चौंकाने वाली’ कदम बताया था। इसे भारत सरकार के लिए कूटनीतिक कौशल का एक बड़ा इम्तिहान बताया गया था।

कौन सी कोर्ट ने सुनाई सजा?

कतर (Qatar) में कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस होता है, जहां अल-दहरा कंपनी के द्वारा यह सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने 26 अक्टूबर को जजमेंट दिया था, जिसमें भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई। जजमेंट को कॉन्फिडेंशियल बताते हुए सिर्फ लीगल टीम के साथ पूरी जानकारी शेयर की गई। इसके बाद भारत सरकार और इन नौसैनिकों के परिवारों ने कोर्ट ऑफ अपील (हाईकोर्ट) में चैलेंज किया। जिसके बाद सजा-ए-मौत को सिर्फ कैद में बदल दिया गया। फांसी की जगह इन भारतीयों को जेल में रहना पड़ा।

कतर(Qatar) में कितनी है भारतीयों की संख्या

वर्ष 2022 तक कतर में भारतीयों की संख्या लगभग सात लाख तक पहुंच गई है। कतर के कई क्षेत्रों में भारतीय समुदाय के लोग जॉब करते हैं। वहां पर भारतीय कई तरह के प्रोफेशन और व्यवसायों में लगा हुए हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कतर में बसे भारतीय न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों को मबजूत करने की दिशा में वित्तीय और आर्थिक योगदान कर रहे हैं।

कतर(Qatar) के जेलों में कितने भारतीय बंद

विदेश मंत्रालय ने आंकड़ें जारी कर बताया है कि मुताबिक, कतर की विभिन्न जेलों में 696 भारतीय बंद हैं। हालांकि, अन्य कई देशों में भी भारतीय नागरिक सजा भुगत रहे हैं।

कतर के अमीर और पीएम मोदी की मुलाकात

दुबई में COP28 समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर (चीफ रूलर) शेख तमीम बिन हमाद अल थानी की मुलाकात हुई थी। सोशल मीडिया पर मोदी और शेख हमाद की मुलाकात की तस्वीरें चर्चा में रहीं। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी शेयर की थी।

भारत और कतर के संबंध

आर्थिक स्तर पर भारत और कतर के संबंध भी बहुत मजबूत रहे हैं। भारत को क़तर के लिये चौथा सबसे बड़ा निर्यात स्थान माना गया है। भारत में कतर से तरलीकृत प्राकृतिक गैस, एलपीजी, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, प्लास्टिक तथा एल्युमीनियम आदि निर्यात किया जाता है। भारतीय और कतर नौसेना के बीच नौसैनिक अभ्यास पहले से होते रहे हैं। कतर में 14 भारतीय स्कूल हैं, जहां 30,000 से अधिक छात्र सीबीएसई पाठ्यक्रम में शिक्षा प्रदान किया जाता है।

 

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