Renewable Energy: भारत के पास दुनिया की सबसे बड़ी आबादी है और यहां की अर्थव्यवस्था भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। इसलिए भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की बहुत जरूरत है। भारत की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताएं भी बड़ी हैं। भारत ने जलवायु और पर्यावरण को लेकर कई प्रतिबद्धता दिखाई है। भारत की योजना 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोत से 50 प्रतिशत बिजली पैदा करने की क्षमता हासिल करना है।
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भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) पर जोर
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) पर जोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा सौर ऊर्जा, बायोएनर्जी, पवन ऊर्जा परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। भारत नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता (बड़े हाइड्रो सहित) में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। देश में भी बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विस्तार की योजना है। विद्युत मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की रिपोर्ट के मुताबिक, अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2029-30 में कोयले की हिस्सेदारी में गिरावट और नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों में वृद्धि की बात कही गई है। इसमें से सौर ऊर्जा द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना ज्यादा है।
क्या है नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)?
ऐसी ऊर्जा जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है। यह कभी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है। नवीकरणीय ऊर्जा न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े हुए हैं। इसमें निम्नलिखित को शामिल किया गया है:
- वायु ऊर्जा (Wind Energy)
- सौर ऊर्जा (Solar Energy)
- हाइड्रोपावर (Hydropower)
- बायोमास (Biomass Energy)
- जियोथर्मल (Geothermal Energy)
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नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की आवश्यकता क्यों?
प्राकृतिक गैस, तेल और कोयला सीमित मात्रा में पाए जाते हैं लेकिन विश्व भर में कल-कारखाने और जनसंख्या वृद्धि के कारण इसका उपभोग भी बढ़ गया है। जिस तरह से इनका उपयोग किया जा रहा है ये एक दिन खत्म हो जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो यह मुश्किल होगा क्योंकि इन्हें बनने में लाखों वर्ष लग जाएंगे।
जीवाश्म ईंधन का ज्यादा उपयोग पर्यावरण संतुलन को प्रभावित कर रहा है। मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन ज्यादा तेजी से हो रहा है, जो ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बिजली पैदा करने में कोयला का उपयोग किया जाता रहा है, ऐसे में सबसे मुश्किल इसका खनन होता है। इस दौरान कई खदान श्रमिकों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। जीवाश्म ईंधन अब काफी महंगी प्रक्रिया भी हो गई है। इनका ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में काफी ज़्यादा योगदान होता है।
नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) का महत्त्व
नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण के अनुकूल है और ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है। इसके उपयोग से न्यूनतम या शून्य कार्बन और ग्रीनहाउस उत्सर्जन होता है। अगर नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग बढ़ता है तो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। नवीकरणीय संसाधनों से प्राप्त ऊर्जा स्थायी स्रोत होते हैं। अगर हम पहले से तैयार हैं तो धीरे-धीरे जीवाश्म ईंधन (तेल, गैस और कोयला) जैसे ऊर्जा के स्रोतों पर निर्भरता कम किया जा सकता है। जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से कई नए रोज़गारों का सृजन हुआ है। अगर हम नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देते हैं तो वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में काफी स्थिरता आएगी। जीवाश्म ईंधन द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस, कार्बन और सल्फर आदि मानव स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होते हैं। ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा मानव स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक साबित होगा।
नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) की चुनौतियां
मौसम की स्थिति नवकरणीय ऊर्जा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऊर्जा की मांग के साथ स्थिरता बनाए रखना बेहद ही कठिन है। नवीकरणीय ऊर्जा प्रतिष्ठानों को बढ़ाने के लिए भूमि की उपलब्धता बहुत जरूरी है। ऐसे में सभी जगहों पर आसानी से भूमि मिलना बेहद ही चुनौतीपूर्ण है। नवीकरणीय संसाधनों से अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करना बड़ी चुनौती है। गौरतलब है कि जीवाश्म ईंधन से आज भी बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन होता है। इससे यह स्पष्ट है कि नवीकरणीय ऊर्जा अभी भी उतनी सक्षम नहीं है कि वह पूरे देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाए।